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Showing posts from June, 2019

Dhamma Diksha Vidhi | धम्म दीक्षा विधी

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                  धम्म दीक्षा विधी  १)त्रिशरण पंचशील २)आशिर्वाद ३)सरणत्तयं ४)२२ प्रतिज्ञा                                 त्रिशरण             नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्ब्बुध्दस्स |             नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्ब्बुध्दस्स |             नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्ब्बुध्दस्स |                                         बुद्धं सरणं गच्छामि |                                        धम्मं सरणं गच्छामि |                                         संघं सरणं गच्छामि |                  दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि |                  दुतियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि |                  दुतियम्पि संघं सरणं गच्छामि |                             ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि |                             ततियम्पि धम्मं सरणं गच्छामि |                             ततियम्पि संघं सरणं गच्छामि | पाणातिपाता वेरमणि सिक्खापदं समादियामी ||१|| अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादिया||२|| कामेसुमिच्छाचारा वेरमणि सिक्खापदं समादियामी||३|| मुसावादा वेरमणि सिक्खापदं समादियामी||४||

Vihar Dan And It's Marathi meaning | विहार दान व मराठी अर्थ

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               विहार दान इमं विहार चतुद्दिसस्स आगत नागतस्स भिक्खुसंघास देमि| संघो यथा सुखं परिभुञ्ज्तु |               मराठी अर्थ मी ह्या विहाराला चारही दिशांनी आलेल्या आणि येणाऱ्या भिक्षु संघाला दानात समर्पित करितो.

Shubheccha and it's Marathi meaning | शुभेच्छा व मराठी अर्थ

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                                   शुभेच्छा इच्छितं पत्थितं तुय्हं खिप्पमेव समिज्झतु | सब्बे पूरेन्तु चित्तसंकप्पा चन्दो पन्नरसो यथा ||१|| सब्बीतियो विवज्जन्तु सब्बरोगो विनस्सतु | मा ते भवत्वन्तु सुखी दीघायुको भव ||२|| अभिवादनसीलिस्स निच्चं वुड्ढापचायिनो | चत्तारो नम्रता वड्ढान्ति आयु वण्णो सुखं बलं ||३|| भवतु सब्ब मङ् गलम् रक्खन्तु सब्ब देवता | सब्ब बुध्दानुभखवैन सदा सोत्थि भवन्तु ते ||४|| भवतु सब्ब मङ् गलम् रक्खन्तु सब्ब देवता | सब्ब धम्मानुभावेन सदा सोत्थि भवन्तु ते ||५|| भवतु सब्ब मङ् गलम् रक्खन्तु सब्ब देवता | सब्ब संघानुभावेन सदा सोत्थि भवन्तु ते ||६||               मराठी अर्थ तुमच्या इच्छित आणि प्रार्थित सर्व गोष्टी तुम्हाला शीघ्र प्राप्त होवोत. तुमच्या चित्ताचे सर्व संकल्प पौर्णिमेच्या चंद्राप्रमाणे पूर्ण होवोत ||१|| सर्व अतिरेक्यांचे निवारण होवो, सर्व रोग नष्ट होवोत, सर्व प्रकारच्या बाधा नष्ट होवोत, आपणास सुख आणि दीर्घायुष्य लाभो ||२|| जो थोरांचे प्रती विनम्र असतो त्याचे आयुष्य, कांती, सुख आणि बल या चार गोष्टींची अभिवृद्धी होते ||३|| आपले सर्व

Saranttay and it's Marathi meaning | सरणत्तयं व मराठी अर्थ

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                   सरणत्तयं                नत्थिमे सरणं अञ्ञं, बुध्दो हे सरणं वरं | एतेन सच्चवज्जने, हो तुम्ही हे जयमंगलं ||१||                सरणं अञ्ञं, धम्मो मे सरणं वरं | एतेन  सच्चवज्जने, हो तुम्ही हे जयमंगलं ||२||                नत्थिमे सरणं अञ्ञं, संघो मे सरणं वरं | एतेन सच्चवज्जेन, हो तु मे जयमंगलं ||३||                 मराठी अर्थ  मला दुसऱ्या कोणाचाही आसरा नाही, केवळ बुध्द माझा सर्वश्रेष्ठ आधार व शरण स्थान आहे, ह्या सत्य उच्चाराने माझे जयमंगल होवो ||१|| मी दुसऱ्या कोणाचा आधार होणार नाही. बुध्द धम्म च माझा एकमेव आधार आहे. बुध्द धम्म च माझा एकमेव आधार व शरण स्थान आहे, ह्या सत्य वचणाने माझे जयमंगल होवो ||२|| मला दुसऱ्या कोणाचाही आधार नाही. बुद्धाचा शिष्य संघच माझा सर्वश्रेष्ठ आधार व शरणस्थान आहे, ह्या सत्य वचनाने माझे जयमंगल होवो ||३||

Mahabodhi Pooja and it's Marathi meaning | महाबोधि पुजा व मराठी अर्थ

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               महाबोधी पूजा           यस्स मुले निसिन्नो वा सब्बारि विजयं अका          पत्तो सब्बञ्ञूतं सत्थ वंदे तं बोधी पादपं ||          आहे हे ते महाबोधी लोक नाथेन पुजिता          अहम्पि ते नमस्सामि बोधिराजा नमस्त्युते ||                 मराठी अर्थ तथागत ज्या बोधी वृक्षा खाली बसूनच (राग, द्वेष, मोह आणि मार सेनादि) सर्व शत्रूवर विजय मिळवून च सर्वत्राला ज्ञानास प्राप्त केले, त्या बोधिवृक्षस नमस्कार करतो. हा बोधिवृक्ष लोकनाथ बुध्दाव्दारे पुजित आहे. मी सुद्धा ह्याची पूजा करतो. हे बोधिरजा तुम्हाला माझा नमस्कार असो.

Paritran path and it's Marathi meaning | परित्राण पाठ

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परित्राण पाठ विपत्ति पटिविहाय, सब्ब सम्पति सिध्दिया ||  सब्ब योगा विनासाय, भवे दिघायु दायकं ||  सब्ब दुक्खा विनासाय, भवे निब्बाण सन्तिके भन्ते अनुग्गहं कत्त्वा परित्तंब्रूथ मंगलं ||१||  समन्ता चक्क वालेसु, अत्रागच्छंतु देवता ||  सध्दम्म मुनि राजस्स, सुणन्तु सग्ग मोक्खदं ||  धम्मसवण कालो, अयं भदन्ता ||  धम्मसवण कालो,अयं भदन्ता ||२|| धम्मसवण कालो,अयं भदन्ता ये सन्ता सन्ता चित्ता त्रिसरण भरणा एन्थं लोकं तरे वा || भुम्मा भुम्माच देवा गुण गुण गहण ब्यावत सब्ब कालं ||  एते आयुन्तुदेवा वर || कनकमेय मेरु राजे वसन्तो || सन्तो सन्तो सहेतुं मुनिवर वचनं सौतु मग्ग सुमग्ग ||३|| सब्बेसु चक्कवालेसु, यक्खा देवाचं ब्रम्हानो |  यंदा अम्हेहि कतं पुञ्ञं, सब्ब सम्पत्ति साधकं || सब्बेतं अनुमोदित्त्वा, समग्ग सासनरता || पमाद रहिता होन्तु, आरक्खासु विसेसतो ||४||  सासनस्सच च लोकच्च, वुडि-ढं भवुत सब्बदा |  सासनप्पिच लोकञ्च, देवा रक्खन्तु सब्बदा |  संध्दिसुखी होन्तु, सब्बे परिवारे हि अत्तनो || अनीधा सुमना होन्तु, सहसब्बेहि ञातिभि ||५|| राजातो वा चोरतो वा, मनुस्सतो वा